इमरती गंज ( Hindi)
This programme is a part of a series of radio programmes "इमरती गंज". The content of this episode is based on a drama that brings social awareness among the people.
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आजकल तो न जाने सबीन को क्या अजीब सी धुन लगी है | वह अपनी पढाई लिखाई छोड़ घूमने बस इधर उधर घूमने में लग गया है. सबीहा तो उसकी इस हरकत से बेहद परेशान हो गयी है | और हो भी क्यों नहीं, आखिर इम्तेहान सर पे हैं और ये सबीन मियां रोज़ किसी न किसी जगह घूमने की जिद करके बैठ जाते हैं, पर आज तो सबीहा ने भी ठान लिया कि सबीन घूमने कहीं भले ही जाए पर पढ़ाई भी करनी ही पडेगी | तो अब देखना ये है कि घूमते-घूमते हम कैसे और कहाँ पढ़ाई की बातें सीख लेते हैं |
बहुत ही अच्छा दिन है, आज काफी दिनों बाद धूप निकली है. लोग अपने अपने काम पर जा रहे हैं और बच्चे स्कूल कॉलेज. सड़कें मोटर साइकिल, साइकिल और जल्दी काम पर जाने वालों से भरी है. कुछ लोग अपने जानवरों को चराने के लिए ले जा रहे हैं, तो कुछ उन्हें एक साथ रखने की मशक्कत कर रहे हैं, और कुछ ट्रेक्टर पर अनाज ले जा रहे हैं. मेवातियों के जीवन का ये एक और व्यस्त दिन है. हमारे सबीन भी खूब मेडल्स जीत रहे हैं... उसकी तो पूरे अरावली स्कूल में चर्चा हो रही है,, सबीहा को आज तो रास्ते में अली मिल गया है.. इसी के साथ एक बार फिर जुड़ते हैं मैथ के नए रोमांच से |
This episode of Masti Ki Paathshaala delivers some relevent information on Division.
काली का अभी तक कोई आता पता नहीं है.. और इस बात से सबीन और सबीहा काफी परेशान हैं...उनको अब समझ ही नहीं आ रहा कि काली क्या जान बूझ कर वापिस नहीं आई है, या वो घर ढूंढते ढूंढते कहीं भटक गयी है... तो चलिए देखें आगे कहानी में क्या मोड़ आता है,, और किस तरह से सबीन और सबीहा की खोज स्कूल के बाद जारी रहती है.
786 Programme(s)
A radio drama is also known as a radio play. Radio plays are similar to any other play with an important difference being that it does not have such defining components of a stage play like curtain, set or live actors. However, a radio programme is characterized by three components